आया के गुहार मां दंतेश्वरी के द्वार' यात्रा में शामिल हुए केदार कश्यप, वन मंत्री ने किया धर्मांतरण विरोध, बोले- संस्कृति को बचाना है

आया के गुहार मां दंतेश्वरी के द्वार' यात्रा में शामिल हुए केदार कश्यप, वन मंत्री ने किया धर्मांतरण विरोध, बोले- संस्कृति को बचाना है
जगदलपुर - TIMES OF BASTAR

12 जनवरी 2024 नारायणपुर :- छतीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री और नारायणपुर विधानसभा से MLA केदार कश्यप ने कहा कि आदिवासियों की संस्कृति और परंपराओं से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बस्तर के आदिवासी समुदाय अपनी परंपरा और संस्कृति की रक्षा के लिए जाग उठे हैं। समाज को बाहर से आए लोगों के बारे में पता चल गया है, अब वे उनकी साजिश का पर्दाफाश कर रहे हैं, मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं। उनका मुख्य एजेंडा आदिवासियों का धर्मांतरण करना है, लेकिन आदिवासी इस मकड़जाल को समझ चुके हैं।

 दरअसल, जनजाति सुरक्षा मंच ने जनजाति समाज में सांस्कृतिक चेतना के लिए 'आया के गुहार मां दंतेश्वरी के द्वार’ यात्रा का शुभारंभ नारायणपुर से किया गया। इस यात्रा में बड़ी संख्या में इलाके के ग्रामीण मौजूद रहे। वन मंत्री केदार कश्यप भी गुरुवार को शामिल हुए। उन्होनें यात्रा में शामिल सभी परिवारजनों को शुभकामनाएं एवं बधाई दी। इस दौरान मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति विश्व प्रसिद्ध है। जिसका आधार हमारी बस्तर की सांस्कृतिक परंपरा है।

संस्कृति से जुड़े रहना है

जो लोग हमें पिछड़ा हुआ समझते हैं, उन्हें यह मालूम नहीं है कि बस्तर ने आजादी की लड़ाई में भी अपना योगदान दिया है। हमारी जीवन शैली में आदिवासी परंपरा शामिल है। अवैध धर्मांतरण कल भी गलत था, आज भी गलत है, संस्कृति-परंपरा से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमारी संस्कृति और परंपरा ही असली जड़ है। हमें इससे जुड़े रहना है।

हमारी विरासत, हमारी आदिवासी परंपरा है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है। हमें बाहर से आए लोग संस्कृति को न समझाएं। हम जब तक जड़ से जुड़े रहेंगे, तब तक मजबूत वटवृक्ष की तरह टिके रहेंगे। हमारी संस्कृति पर हमला करने वाले बाहरी तत्वों से सावधान रहना है। समाज को तोड़ने वाली शक्तियों के हर षड्यंत्र को समझ कर अपनों के लिए कार्य करना है। 

हम प्रकृति के उपासक हैं- केदार

वनमंत्री केदार कश्यप ने कहा कि हम लोग प्रकृति के उपासक हैं। हमारी जीवन शैली को हिंदू संस्कृति का आधार माना जाता है। खेतों में फसल उगाने से लेकर काटने तक, सभी कार्यों में देवताओं और पूर्वजों का आह्वान किया जाता है। बस्तर का दशहरा, मौली मेला, माई दंतेश्वरी का मंदिर यहां की संस्कृति विश्व प्रसिद्ध है। ऐसे क्षेत्र का मुझे प्रतिनिधित्व करने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह मेरे लिए गौरव विषय है। 

संस्कृति की रक्षा और सम्मान हम सबकी जिम्मेदारी

केदार कश्यप ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हम आगे बढ़े हैं। हमारे बस्तर क्षेत्र के लोग हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। उसी तरह हमारी यह सामाजिक जिम्मेदारी है कि हम सभी अपने संस्कृति और परंपराओं को लेकर सजग रहें। बाहरी विचारों और लोगों से प्रभावित हुए बिना हम अपने संस्कृति में बने रहें। उन्होंने कहा कि आदिवासी परंपरा और हमारे चीर पुरातन संस्कृति की रक्षा के लिए 'आया के गुहार मां दंतेश्वरी के द्वार' यात्रा का आयोजन सराहनीय पहल है।