इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, ज्ञानवापी के वुजूखाना के सर्वेक्षण मामले में मुस्लिम पक्ष को नोटिस जारी,रिपोर्ट पर भड़के ओवैसी
31 जनवरी 2024 इलाहाबाद :- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राखी सिंह की पुनरीक्षण याचिका पर ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी को बुधवार को नोटिस जारी किया है l
वादी राखी सिंह ने वाराणसी की अदालत द्वारा 21 अक्टूबर 2023 को सुनाये गये उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उसने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर शिवलिंग को छोड़कर वुजूखाना का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सर्वेक्षण कराने का निर्देश देने से मना कर दिया था। अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी को यह नोटिस न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की अदालत द्वारा जारी किया गया है l
राखी सिंह, श्रृंगार गौरी पूजा अर्चना मुकदमे में वादकारियों में से एक है और यह मुकदमा वाराणसी की जिला अदालत में लंबित है। वाराणसी की अदालत में दाखिल अपने आवेदन में राखी सिंह की प्राथमिक दलील यह थी कि विवादित संपत्ति का धार्मिक चरित्र तय करने के लिए शिवलिंग को छोड़कर वुजूखाना का सर्वेक्षण कराना आवश्यक है।
एएसआई ने जिस तरह से विवादित परिसर के बाकी हिस्सों का सर्वेक्षण किया है, उसी तरह उसे वजूखाने के भी सर्वे की याचिका में मांग की गई है। दलील दी गई है कि वजूखाने के सर्वे से 15 अगस्त 1947 को जो स्थिति थी उसका सही-सही पता चलेगा।
शिवलिंग मिलने के दावे के बाद सील हुआ था वजुखाना
बता दें कि शिवलिंग मिलने के दावे के बाद वाराणसी के सिविल जज के आदेश पर वजूखाने को साल 2022 के मई महीने में सील कर दिया गया था। याचिका के जरिए वाराणसी के जिला जज की कोर्ट के 21 अक्टूबर 2023 के फैसले को चुनौती दी गई है। जिला जज ने पिछले साल दिए गए अपने फैसले में वजू खाने का सर्वे कराए जाने का आदेश देने से इंकार कर दिया था।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में ASI की ओर से कुल 839 पन्नों की रिपोर्ट दाखिल की गई है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि मौजूदा ढांचे के निर्माण से पहले वहां एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था।
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई है। सर्वे में कई बड़े चौंकाने वाले खुलासे सामने आये हैं। हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा है कि ASI ने कहा है कि मौजूदा ढांचे के निर्माण से पहले वहां एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। यह ASI का निर्णायक निष्कर्ष है। एएसआई की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद से ही अब ज्ञानवापी का मुद्दा गरमाने लगा है। इस पूरे मामले पर AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी का भी बयान सामने आया है।
ज्ञानवापी के सर्वे में क्या-क्या मिला?
हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर ने कहा है कि ASI ने कहा है कि वहां पर 34 शिलालेख है जहां पर पहले से मौजूद हिंदू मंदिर के थे। जो पहले हिंदू मंदिर था उसके शिलालेख को पुन: उपयोग कर ये मस्जिद बनाया गया। इनमें देवनागरी, ग्रंथ, तेलुगु और कन्नड़ लिपियों में शिलालेख मिले हैं। इन शिलालेखों में जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर जैसे देवताओं के तीन नाम मिलते हैं। ASI ने कहा है कि मौजूदा ढांचे के निर्माण से पहले वहां एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। यह ASI का निर्णायक निष्कर्ष है।
ज्ञानवापी को मंदिर बताने वाली रिपोर्ट पर भड़के ओवैसी, बोले- ASI हिंदुत्व की गुलाम है
एएसआई रिपोर्ट के एक हिस्से में कहा गया है कि वैज्ञानिक अध्ययन/सर्वेक्षण के आधार पर वास्तुशिल्प अवशेषों, उजागर विशेषताओं और कलाकृतियों शिलालेखों, कला और मूर्तियों का अध्ययन किया गया। यह कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले वहां एक हिंदू मंदिर मौजूद था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने कहा है कि यह रिपोर्ट पेशेवर पुरातत्वविदों या इतिहासकारों के किसी भी समूह के सामने अकादमिक जांच में टिक नहीं पाएगा। रिपोर्ट अनुमान पर आधारित है और वैज्ञानिक अध्ययन का मज़ाक उड़ाती है। जैसा कि एक महान विद्वान ने एक बार कहा था एएसआई हिंदुत्व की गुलाम है।