पीडब्ल्यूडी विभाग का कारनामा, बनी बनाई सड़क पर कर दिया नए सड़क का निर्माण

जगदलपुर । पीडब्ल्यूडी विभाग ने बजट खपाने के लिए एक अच्छी खासी और सालभर पहले ही बनाई गई सड़क पर ही नई सड़क प्रस्तावित कर उस पर डामरीकरण का कार्य भी कर दिया है ,लगभग डेढ़ किलोमीटर लम्बी इस सड़क का निर्माण अभी साल भर पहले ही किया गया था । दरअसल मामला धरमपुरा पीजी …

पीडब्ल्यूडी विभाग का कारनामा, बनी बनाई सड़क पर कर दिया नए सड़क का निर्माण
जगदलपुर - TIMES OF BASTAR

जगदलपुर पीडब्ल्यूडी विभाग ने बजट खपाने के लिए एक अच्छी खासी और सालभर पहले ही बनाई गई सड़क पर ही नई सड़क प्रस्तावित कर उस पर डामरीकरण का कार्य भी कर दिया है ,लगभग डेढ़ किलोमीटर लम्बी इस सड़क का निर्माण अभी साल भर पहले ही किया गया था ।

दरअसल मामला धरमपुरा पीजी कॉलेज से कालीपुर को तरफ जाने वाली सड़क का है जिसका निर्माण वर्ष भर पहले ही हुआ था और सड़क की स्थिति भी बहुत अच्छी थी ।

जिले में कई ऐसी जगहें हैं जहां सड़क का निर्माण होना चाहिए समय समय पर ग्रामीणों की मांग भी उठती रही है पर उन स्थानों को छोड़ के बेहतर स्थिति वाली बनी बनाई सड़क के ऊपर ही नई सड़क आबंटित करना समझ से परे है ।

नवभारत ने जब मामले की जांच की तो पता चला कि उक्त आबंटित सड़क की लम्बाई लगभग डेढ़ किलोमीटर है और उसकी लागत एक करोड़ पच्चीस लाख रुपए है ।

मार्च बजट का पैसा खपाने विभाग के द्वारा ये भ्रष्टाचार किया गया है ।

नई सड़क के नाम पर बनी बनाई सड़क पर केवल डामरीकरण करके शासन को करोड़ों रुपए का चूना लगा दिया गया है ।

और तो और जो डामरीकरण का कार्य पीडब्ल्यूडी विभाग के द्वारा कराया गया है वो भी निम्न स्तरीय है , पैरों की घर्षण और हाथों के खुरचने भर से डामर उखड़ रहा है ।

अभियंता करण चौहान के अनुसार गुणवत्तापूर्ण सड़क निर्माण के लिए एसी (डामर कंक्रीट) परत बिछाते समय, बिटुमिनस फाउंडेशन या बाइंडर कोर्स करना आवश्यक होता है। कील कोट के लिए बिटुमेन 6.0–7.5 किलोग्राम प्रति 10 वर्ग मीटर की दर से फैलाया जाना चाहिए और  गैर-बिटुमिनस बेस के लिए, यह दर 7.5-10 किग्रा तक बढ़ाई जा सकती है।

इसके अलावा बिटुमेन को 150 और 177 डिग्री सेल्सियस के बीच के तापमान पर गर्म किया जाना चाहिए ,जिस पर बेस कोर्स पर फैल जाने के बाद 5 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से रोलिंग मिश्रण को पूरी तरह से दबा देता है। प्रारंभिक या ब्रेकडाउन रोलिंग के लिए 8 से 12 टन के रोलर का उपयोग किया जाता है, जबकि मध्यवर्ती रोलिंग के लिए 7 किलोग्राम प्रति वर्ग सेंटीमीटर के टायर दबाव के साथ रोलिंग करना आवश्यक होता है ।

धरमपुरा में सड़क के ऊपर बनी इस सड़क में बिलकुल भी इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है और शासन के पैसे का जमकर बंदरबाट किया जा रहा है ।

इस संदर्भ में जब नवभारत ने पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता जीवन नेताम से बात की तो उन्होंने में ये स्वीकार किया की जिस सड़क पर नई सड़क बनाई गई है वो पहले से ही बेहतर थी , परंतु बजट में उसी जगह नई सड़क की स्वीकृति दी गई थी इसलिए वो कुछ नहीं कर सकते । उन्होंने कहा कि कार्ययोजना में जिस सड़क का उल्लेख होता है बजट उसी सड़क के अनुरूप आबंटित होता है ।