नक्सलगढ़ के सबसे पढ़े लिखे लड़के को मिली नौकरी,जहां कभी नक्सली सीखते थे बंदूक चलाना अपने उसी गांव में बच्चों को सिखाएगा कंप्यूटर, दिल का है मरीज 

नक्सलगढ़ के सबसे पढ़े लिखे लड़के को मिली नौकरी,जहां कभी नक्सली सीखते थे बंदूक चलाना अपने उसी गांव में बच्चों को सिखाएगा कंप्यूटर, दिल का है मरीज 
जगदलपुर - TIMES OF BASTAR

11 जनवरी 2024 जगदलपुर :- बस्तर का चांदामेटा गांव, इस गांव में कभी नक्सली अपने लाल लड़ाकों को बंदूक चलाना सिखाते थे, लेकिन अब इस गांव का सबसे पढ़ा लिखा युवक अब गांव के बच्चों को कंप्यूटर चलाना सिखाएगा। दिल की बीमारी से जूझ रहे बी टेक के युवक को कलेक्टर ने नौकरी पर रखा है। बताया जा रहा है कि, यह इस गांव का पहला ऐसा युवक है जो पढ़े लिखने के बाद अपने ही गांव में नौकरी कर रहा है।

युवक का नाम जुगल किशोर कोर्राम है। चंदामेटा के किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले जुगल ने प्रारंभिक शिक्षा पास के ही गांव कोलेंग से की थी। जिसके बाद जगदलपुर, फिर रायपुर प्रयास स्कूल से आगे की पढ़ाई किया। प्रयास के माध्यम से इंजिनियर बनने की प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी की और रायपुर के शासकीय इंजिनियरिंग कॉलेज में भर्ती हुआ और यहीं से बीटेक की पढ़ाई की। 

आर्थिक तंगी की वजह से पार्ट टाइम टीचिंग का भी काम करने लगा था। पढ़ाई के दौरान ही उसका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा था। जांच करवाने पर दिल से संबंधित बीमारी का पता चला। इस बीमारी की वजह से बार-बार इलाज करवाना पड़ता था। जिससे आर्थिक रूप से और कमजोर होता गया। साथ ही ज्यादा चलने में दिक्कत होने लगी। जुगल ने बताया कि उसके परिवार में माता पिता, एक भाई और बहन हैं। माता पिता कृषक हैं, भाई और बहन पढ़ाई कर रहे हैं।

बीमार था, इसलिए घर आ गया

जुगल बीमार था, इसलिए वह अपने घर चांदामेटा लौट आया। परिवार का बड़ा बेटा होने की वजह से घर की जिम्मेदारी भी इसपर थी। बीमारी की वजह से मजदूरी, किसानी जैसे काम नहीं कर पाया। फिर विधानसभा चुनाव से पहले जब बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम के. गांव पहुंचे तो जुगल ने अपनी समस्या उन्हें बताई। जिसके बाद कलेक्टर ने उसे नौकरी देने का वादा किया था। 

अब बनगया कंप्यूटर टीचर

2 दिन पहले कलेक्टर विजय दयाराम के. गांव पहुंचे। जुगल को भी बुलाया। फिर उसे कोलेंग लेकर गए। यहां के बालक आश्रम में उसे कंप्यूटर शिक्षक के रूप में पदस्थ कर दिया। उसे कलेक्टर दर पर नौकरी दी गई। कलकेटर ने कहा कि आश्रम में और भी कंप्यूटर लाए जाएंगे। अब अपने ही गांव में नौकरी मिलने के बाद उसकी काफी खुश है। कलेक्टर ने आश्वासन दिया है कि जुगल का इलाज भी करवाया जाएगा। 

एक नौकरी से दो फायदे

दरअसल, चांदामेटा इलाका नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। एक समय था जब नक्सली यहां की तुलसी डोंगरी पर अपना ट्रेनिंग सेंटर खोल रखे थे। संगठन में भर्ती होने के बाद अपने लाल लड़ाकों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दिया करते थे। लेकिन कुछ समय पहले फोर्स ने इलाके पर कब्जा किया और नक्सलियों को खदेड़ दिया। जिसके बाद से इस गांव में विकास की राह भी आसान हुई।

वहीं साल 2023 में पहली बार यहां विधानसभा चुनाव हुआ। गांव के लोगों ने अपने ही गांव में वोट डाला। चांदामेटा-कोलेंग इलाके के बच्चे अब बड़े होकर मुख्यधारा से नहीं भटकेंगे। उन्हें कंप्यूटर की शिक्षा भी दी जाएगी। स्मार्ट वर्क करेंगे, स्मार्ट बनेंगे। जुगल के कंप्यूटर शिक्षक बनने के बाद इसका फायदा इलाके के बच्चों को भी मिलेगा। इसकी वजह यह भी है कि लोकल ब्वॉय होने की वजह से लोकल बच्चे उनके टच में रहेंगे।