महादेव सट्टेबाजी के आरोपियों की पांच दिन बढ़ी रिमांड, पूछताछ में नितिन और अमित नहीं कर रहे ED का सहयोग और भी खुलासे होने बाकी 

महादेव सट्टेबाजी के आरोपियों की पांच दिन बढ़ी रिमांड, पूछताछ में नितिन और अमित नहीं कर रहे ED का सहयोग और भी खुलासे होने बाकी 
जगदलपुर - TIMES OF BASTAR

18 जनवरी 2024 रायपुर :- महादेव एप सट्टेबाजी मामले में पिछले हफ्ते ईडी की गिरफ्त में आए दो आरोपितों की रिमांड खत्म होने पर बुधवार को उन्हें विशेष न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत की अदालत में पेश किया गया। ईडी के अधिकारियों ने आरोपितों पर पूछताछ में सहयोग न करने की बात कही है। ईडी ने उनके मोबाइल का काल डिटेल निकालने और रिमांड की मांग की। न्यायाधीश ने इसके आधार पर पांच दिन की रिमांड बढ़ाने का फैसला सुनाया। अब 21 जनवरी को दोनों को कोर्ट में पेश किया जाएगा।

ईडी के विशेष लोक अभियोजक डा. सौरभ कुमार पांडेय ने बताया कि आनलाइन महादेव बेटिंग एप सट्टेबाजी मामले में 12 जनवरी को गिरफ्तार नितिन टिबरेवाल और अमित अग्रवाल की पांच दिन की रिमांड खत्म होने पर बुधवार को विशेष न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत के समक्ष पेश कर और उनसे पूछताछ करने के साथ ही दस्तावेजी साक्ष्य जुटाने के लिए रिमांड बढ़ाने का आवेदन दिया गया। न्यायाधीश ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दोनों आरोपितों की पांच दिन की रिमांड मंजूर की।

सट्टेबाजी में करोड़ों कमाए

ई़डी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अमित अग्रवाल और नितिन टिबरेवाल पूछताछ में सहयोग नहीं दे रहे है। साथ ही उनके पास से जब्त मोबाइल के काल डिटेल की जांच करने की जरूरत है। गौरतलब है कि अमित अग्रवाल महादेव एप के भागीदार अनिल कुमार अग्रवाल का भाई है।

अमित अग्रवाल ने सट्टेबाजी में करोड़ों रुपये कमाई की है। उसने अपने और पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदी है। बैंक खातों में 2.5 करोड़ रुपये जमा मिले हैं। ईडी की जांच से पता चला कि नितिन टिबरेवाल मेसर्स टेकप्रो आइटी के बहुसंख्यक शेयर धारक हैं। जांच में यह भी साफ हुआ है कि साल्यूशंस लिमिटेड नामक कंपनी महादेव एप के लिए फ्रंट के रूप में काम कर रही थी।

पूछताछ में नितिन टेबरीवाल ने इस तथ्य को छुपाने की कोशिश की। वहीं दोनों आरोपितों नेअपने विदेशी बैंक खातों और संपत्तियों की भी कोई जानकारी नहीं दी है। नितिन टिबरेवाल ने दुबई में बंगले और कई संपत्तियां खरीद रखी हैं। शेयर खरीदी के जरिए वह सट्टेबाजी का पैसा खपाता था। वहीं अमित अग्रवाल सट्टे के पैसे को लोगों में लोन के रूप में बांटकर वापस लेता था।