भरोसे का सम्मेलन में मुख्यमंत्री बघेल ने ‘हमर सुघ्घर लईका अभियान’ का किया शुभारंभ……

भरोसे का सम्मेलन में मुख्यमंत्री बघेल ने ‘हमर सुघ्घर लईका अभियान’ का किया शुभारंभ रायपुर :  दुर्ग जिले के सांकरा में आयोजित ‘‘भरोसे का सम्मेलन’’ कार्यक्रम में आज मुख्यमंत्री श्री भुपेश बघेल ने हमर सुघ्घर लईका अभियान का शुभारंभ किया। सम्मेलन में महिला एवं बाल विकास के स्टॉल में मुख्यमंत्री के सामने धरम नामक बच्चे […]

भरोसे का सम्मेलन में मुख्यमंत्री बघेल ने ‘हमर सुघ्घर लईका अभियान’ का किया शुभारंभ……
जगदलपुर - TIMES OF BASTAR

भरोसे का सम्मेलन में मुख्यमंत्री बघेल ने ‘हमर सुघ्घर लईका अभियान’ का किया शुभारंभ

रायपुर :  दुर्ग जिले के सांकरा में आयोजित ‘‘भरोसे का सम्मेलन’’ कार्यक्रम में आज मुख्यमंत्री श्री भुपेश बघेल ने हमर सुघ्घर लईका अभियान का शुभारंभ किया।

सम्मेलन में महिला एवं बाल विकास के स्टॉल में मुख्यमंत्री के सामने धरम नामक बच्चे का भार मापा गया, जो 10 किलो 800 ग्राम आया। मुख्यमंत्री ने उपस्थित अधिकारियों से बच्चे के स्वास्थ्य के संबंध में जानकारी ली और जब पाया कि बच्चा स्वस्थ है तो उपस्थित अधिकारी-कर्मचारियों की तारीफ की।

सात माह पहले अमलेश्वर का यह बच्चा गंभीर कुपोषण की श्रेणी में आता था। महिला एवं बाल विकास के अधिकारियों ने इसकी स्क्रीनिंग कर एपेटाइड टेस्ट के आधार पर बच्चे के परिवार को लगातार स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दी और स्क्रीनिंग में सामने आई कमियों को दूर करने के लिए डॉक्टर के मार्गदर्शन में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई।

इसके साथ-साथ मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत मिलने वाली सुविधाएं भी बच्चे को प्राप्त हो रही है। जिससे कि बच्चा 7 महीने के भीतर ही कुपोषण मुक्त हो गया।

जिले के संबंधित अधिकारियों द्वारा बताया गया कि हमर सुघ्घर लईका अभियान का उद्देश्य जिले के सर्वे सूची के आधार पर चिन्हित 18 सौ कुपोषित बच्चों को शीघ्र पोषित बच्चों की श्रेणी में लाना है और जिले स्तर पर शुरू किया जाने वाला यह राज्य में पहला कार्यक्रम है।

इस अभियान की विशेषता एपेटाइड टेस्ट के आधार पर बच्चों की ग्रोथ का प्रबंधन करना है। इसमें ए.एन.एम. व मितानिन घर-घर जाकर कुपोषण की श्रेणी में आने वाली बच्चों का एपेटाइड टेस्ट करेंगी। इसके अलावा बच्चों की स्क्रीनिंग के लिए शिविर के आयोजन किया जाएगा।

इसके बाद कुपोषण की श्रेणी में आने वाले बच्चों के परिवार को एक न्यूट्रिशयन की तरह जागरूक किया जाएगा और उन्हें ट्रेनिंग भी दी जाएगी। इस अभियान के अंतर्गत संबंधित परिवार के साथ सामंजस्य स्थापित कर बच्चे की स्थिति बेहतर न होने तक परिवार को प्रशिक्षण व मार्गदर्शन दिया जाएगा।