40 लाख खर्च करके भी ग्रामीणों का दिल जीत नही सका जिला प्रशासन
प्रशासनिक दम्भ की भेंट चढ़ा चित्रकोट महोत्सव, ग्रामीण क्षेत्र में ग़ज़ल की प्रस्तुति....
07 मार्च 2024 जगदलपुर :- अपने उद्घाटन के साथ ही विवादों में आए चित्रकोट महोत्सव ने गलतियों में कोई कसर नही छोड़ी है।पहले दिन ही कार्यक्रम अपने नियत समय से 2 घण्टे विलंब से शुरू हुआ और उन्हें 10 बजे निर्धारित अवधि तक आनन फानन में ख़तम कर दिया गया।
अव्यवस्था का सबसे प्रमुख कारण विभागों का आपसी सामंजस्य नही होना है।शिक्षा विभाग और आदिवासी विकास विभाग स्कूली व छात्रावासी बच्चों की प्रस्तुति संचालित कर रहा है जबकि जिला पंचायत नोडल की भूमिका में है। एक विभाग आदेश जारी करता है जिसकी सूचना दूसरे विभाग को नही होती। ट्राइबल ने लोकनृत्य के निर्णय के लिए 4 निर्णायको की व्यवस्था की वे स्थल पर मौजूद भी हुए पर उन्हें स्पष्ट निर्देश देने वाला कोई जवाबदार कर्मचारी या अधिकारी उपलब्ध नहीं था।
हमने इस बारे में जानकारी ली तो पता चला पंचायत विभाग ने इनके बीच प्रतिस्पर्धा न रखकर सीधे मानदेय सौंपने का निर्णय लिया है पर उनके इस निर्णय की जानकारी न तो ट्राइबल विभाग को दी गई और ना ही सम्बंधित निर्णायकों को वे बिचारे 2 दिनों से चित्रकोट के चक्कर लगा रहे हैं सूत्र बताते हैं कि जिन 4 की सेवाएं ली जानी थी उनमें से एक दिल्ली प्रवास पर हैं।
आयोजन समिति और जिला प्रशासन ने हरिहरन जैसे बड़े कलाकार को बुलाकर उन्हें पर्याप्त गरिमा प्रदान नही की ना तो इस कार्यक्रम का प्रचार किया गया और ना ही कोई प्रेस वार्ता हरिहरन के साथ रखी गई इससे मिडिया क्षुब्ध हैं उनका मानना है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में महान हस्ती के आने से हम बस्तर की सुंदर छवि रख पाते और कोशिश करते कि मीडिया के माध्यम से बस्तर की अच्छी तस्वीर प्रस्तुत हो जिससे भविष्य में यहां आने से कोई भयभीत न हो पर प्रशासन ने ऐसी कोई व्यवस्था रखी नहीं।
बहरहाल महोत्सव के दूसरे दिन हरिहरन का कार्यक्रम हुआ जिसका कुल बज़ट अपुष्ट सूत्र 35 से 40 लाख बताते हैं। केवल ध्वनि व्यवस्था के लिए ही 10 करोड़ का सेटअप लगाया गया था बावजूद इसके कार्यक्रम को अपेक्षित सफलता नही मिली कारण है हरिहरन को प्रस्तुति के सम्बंध में सही जानकारी नहीं दी गई, ग्रामीण क्षेत्र में ग़ज़लों की प्रस्तुति किसी के पल्ले नही पड़ रहा खुद चित्रकोट के जनप्रतिनिधि सकते में है कि उन्हें विश्वास में क्यों नही लिया गया और पैसों को पानी को तरह बहाया गया जबकि उनके फिल्मी गीतों की लंबी सूची है क्षेत्र की जनता के हिसाब से उनसे उन्ही फिल्मी गीतों को गवाना चाहिए था, इससे बड़े कलाकार का अपमान हुआ और कार्यक्रम भी फिसड्डी साबित हुआ।
हरिहरन के मशहूर गीतों को सुनने की आस लिए वहाँ पहुंचे श्रोताओं को तब झटका लगा जब एक के बाद एक गजलों की प्रतूतियाँ दी जाने लगी तीसरी प्रस्तुति के बाद ही दर्शक कुर्सीया छोड़ने लगे l
कार्यकर्म के मध्य पहुँचने तक केवल एक चौथाई दर्शक ही शेष बचे थे उनमे भी ज्यादा तर स्कूल व छात्रवास से लाये गये बच्चे थे l
कुछ स्थानीय कलाकार भी आयोजन से असंतुष्ट है उनकी अर्जी बिना किसी ठोस कारण के अस्वीकृत कर दी गई और कई अपेक्षाकृत कमजोर कार्यक्रम मंच पर हुए यहां तक कि कराओके से भी प्रस्तुतियां हुईं । कलाकार जानना चाहते हैं कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों की चयन समिति के सदस्य कौन थे जिन्होंने अकारण उन्हें चयनित नही किया उनमें कई स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुतियां जिले के बाहर भी होती रही है उन्हें अंत तक रोके रखा गया और अंतिम समय मे मना कर दिया गया इससे कुछ के एडवांस भी डूब गए।
चित्रकोट महोत्सव मे अश्लीलता परोसी गई
महोत्सव की उत्कृष्टता का दम्भ भरने वाले प्रशासन को इस बात की जानकारी शायद नहीं है की कोलकाता से आया समूह 3 दिनों के लिए बुक है और प्रत्येक दिवस वे हिंदी फिल्मी गानों पर नृत्य प्रस्तुत कर रहे हैं।हिंदी गीतों की प्रस्तुति होनी ही थी तो बस्तर के कलाकार भी कर सकते थे इसके लिए पश्चिम बंगाल से इन्हें बुलाकर लाखों रुपए बर्बाद करने की क्या ज़रूरत थी?
आयोजन स्थल के दर्शक दीर्घाह मे मिडिया के लिए आरक्षित का बड़ा बोर्ड तो लागाया गया था लेकिन वहां अधिकारी एवं उनके परिवार को जगह दी गई जिसके चलते कवरेज हेतु पहुंचे मिडिया कर्मियों को खड़े खड़े ही कार्यकर्म का कवरेज करना पड़ा l
अब तक की गतिविधियों से परिलक्षित हो रहा है कि जिला प्रशासन मन मर्जी काम कर रहा है और व्यक्ति विशेष की अभिरुचि, इच्छा और अनुमति से ही सारा काम हो रहा है l गत वर्षों की तुलना में मंच की भव्यता दिखती है पर कार्यक्रम का स्तर वैसा नही है जैसा होता आया है इससे जनप्रतिनिधि भी खासे नाराज़ हैं।