40 साल से अटका बोधघाट परियोजना बांध प्रस्तावित,  बस्तर की महत्वाकांक्षी परियोजना, 22 हजार करोड़ की लागत

40 साल से अटका बोधघाट परियोजना बांध प्रस्तावित,  बस्तर की महत्वाकांक्षी परियोजना, 22 हजार करोड़ की लागत
जगदलपुर - TIMES OF BASTAR

11 जून 2025 जगदलपुर :-  साय सरकार ने भी चालीस साल से अटकी बस्तर की महत्वाकांक्षी बोधघाट परियोजना पर कदम आगे बढ़ा दिए हैं। बताया गया कि पिछली भूपेश सरकार ने केन्द्र सरकार की एजेंसी से सर्वे कराया था। सर्वें रिपोर्ट में योजना की कुल लागत 22 हजार करोड़ अनुमानित बताई गई थी, और तीन जिलों की करीब 5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी। यही नहीं परियोजना' से 42 गांव डुबान में आएंगे, और जनसंख्या करीब 13 हजार लोग प्रभावित होंगे। खास बात ये है  इस परियोजना के पूरा होने पर पोलावरम की तुलना में डुबान क्षेत्र काफी कम है। साथ ही अंतरराज्यीय विवाद भी नहीं है।

गोदावरी की मुख्य सहायक नदी पर बोधघाट परियोजना पिछले 4O साल से अटकी पड़़ी है मध्यप्रदेश़ और बाद में छत्तीसगढ़ की सरकार ने बस्तर में सिंचाई सुविधा उपलबध कराने की दिशा में योजना को अमल में लाने की दिशा  मे कोशिशें शुरू की थी। मध्यप्रदेश के समय तो 1979 में पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त हो गई थी। वन संरक्षण अधिनियम लागू होने के बाद 1985 में फिर से पर्यावरण स्वीकृति मिल चुकी है। मगर डुबान क्षेत्र मे आने वाले लोगों, और पर्यावरण क्षेतरोें काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों के विरोध के चलते परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई।

छत्तीसगढ़ राज्य बनने ठे बाद रमन सरकार में काम  शुरू करने का फैसला लिया गया था। तब विरोध की वजह से परियोजना पर कोई प्रगति नहीं हो पाई। इसके बाद कांग्रेस सरकार ने इस दिशा में ठोस पहल की, और केन्द्र सरकार की एजेंसी वाप्कोस को सर्वे का जिम्मा दिया गया था। जून-2020 में सरवे हुआ, और 2022 में सर्वे एजेंसी ने प्रांभिक रिपोर्ट सरकार को दी इसमें  परियोजना पर 21 हजार 989 करोड़ का खर्च होने का अनुमान लगाया है। साथ ही 225 मेगावॉट बिजली उत्पादन, और' तीन जिले दंतेवाड़ा, सुकमा, और बीजापुर के 5 लाख 1 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। खास बात यह है कि तीनों जिलों में सिंचाई की सुविधा प्रदेश में सबसे कम है।

हालांकि विभाग की अपनी रिपोर्ट में 3 लाख 78 हजार 475 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होने की बात कही गई है यानी वाप्कोस, और विभाग के आंकड़ें  मे फर्क है। इस पूरे मामले में विभाग के एक अफसर ने बताया कि वाप्कोस ही विस्तृत सर्वे कर रही है। सर्वे रिपोर्ट आने के बाद परियोजना को लेकर स्थिति स्पष्ट होगी।

परियोजना पर काम कर रहे जल संसाधन विभाग के एक आला अफसर ने  कहा कि बस्तर में सिंचाई की सुविधा काफी कम है। और इंद्रावती नदी का ज्यादा हिस्सा ओडिशा और तेलंगाना में चले जाता है बस्तर  के पिछड़े इलाकों में सिंचाई सुविधा बढाने के लिए बोधघाट परियोजना के निर्माण जरूरी है। उन्होंने कहा कि परियोजना का विस्तृत सर्वें का काम चल रहा है।

दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से चर्चा कर बोधघाट परियोजना को लेकर सहयोग मांगा है। बस्तर में नक्सलवाद खात्मे की तरफ है। ऐसे में साय सरकार सिंचाई सुविधा बढ़ाकर किसानों की आय बढ़ाने की योजना बनाई है।

 इस जगह बनेगा बांध

बोधघाट सिंचाई परियोजना इन्द्रावती नदी पर प्रस्तावित है। यह दंतेवाड़ा के गीदम तहसील के ग्राम बारसूर से करीब 8 कि.मी दूर बनेगा यह इलाका जगदलपुर शहर से करीब 100 कि.मी दुरी पर है l

42 गावँ डुब जायेंगे

सर्वे में यह बात सामने आई है कि 42 गांव की 12 हजार 840 हेक्टेयर भूमि डुबान क्षेत्र मे आएगी, इनमें 5704 हेक्टेयर वन भूमि है, बताया गया कि इंद्रावती नदी का अभी मात्र 13 टीएमसी पानी का उपयोग होता है परियोजना के पूरा होने पर 155.91 टीएमसी पानी का उपयोग हो पायेगा l

जल संसाधन विभाग के एक अफसर ने चर्चा में कहा कि प्रस्तावित डुबान वन भूमि 5704 हेक्टेयर क्षेत्र है इसके बदले 8419 हेक्टेयर जमीन पर क्षतिपूर्ति वृक्षा रोपण हो चुका है। विस्तृत सर्वे होने के बाद स्वीकृति के लिए केन्द्रीय जल आयोग को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसके बाद पुनर्वास आदि की दिशा में काम होगा।