महिला ने संभ्रांत अधिकारी पर लगाया बदचलनी का आरोप, दोनों पक्षों ने एक दूसरे कें खिलाफ दर्ज कराई एफ आई आर, महिला पर वीडियो साक्ष्य दिखाकर ब्लैकमेल करने का आरोप

महिला ने संभ्रांत अधिकारी पर लगाया बदचलनी का आरोप, दोनों पक्षों ने एक दूसरे कें खिलाफ दर्ज कराई एफ आई आर,  महिला पर वीडियो साक्ष्य दिखाकर ब्लैकमेल करने का आरोप
जगदलपुर - TIMES OF BASTAR

29 मई 2025 दंतेवाड़ा :- गीदम थाने में दर्ज एक मामले ने एक प्रभावशाली अधिकारी की छवि को पूरी तरह से डेंट कर दिया है। अधिकारी भी ऐसे कि जिनकी सार्वजनिक छवि पर कभी कोई दाग़ था ही नहीं। एक प्रतिभाशाली ऐसा व्यक्तित्व जिनके पास संभवत: सबसे ज्यादा डिग्रीधारी होने का गौरव भी शामिल है। पीएचडी के बाद डाक्टर की उपाधि भी नाम के साथ शोभा बढ़ाती रही है। 

ऐसा अफसर जिनके पास कम से कम ढाई दशक तक बस्तर संभाग के विभिन्न हिस्सों में आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी के तौर पर काम करने का अनुभव... ऐसे में यकायक ऐसा तूफान कैसे आ खड़ा हुआ यह किसी को समझ में नहीं आ रहा है।

इस अधिकारी के बारे में कभी भी सार्वजनिक तौर पर किसी तरह के अनैतिक रिश्तों की चर्चा नहीं रही। यकायक 26 मई को गीदम थाने में दर्ज एक एफआईआर ने उनकी छवि को जो अब तक छिपी हुई थी उसे बेनकाब कर दिया। गीदम में जिस युवती के साथ संबंधों को लेकर यह विवाद खड़ा हुआ है। उस युवती के बारे में भी कभी इस तरह की सार्वजनिक चर्चा नहीं रही। 

पर गीदम बस्ती के साथ—साथ अधिकारी आनंद जी सिंह के करीबियों को महसूस होता था कि दंतेवाड़ा और बीजापुर के रास्ते में पड़ने वाली इस बस्ती की युवती के साथ करीबी संबंध हैं। यह करीबी संबंध कितने करीबी थे इस बात का अनुमान शायद किसी को भी नहीं था।

युवती के पिता पेशे से ठेकेदार हैं। आदिम जाति कल्याण विभाग में जिसमें अधिकारी का हस्तक्षेप रहा है उसमें कामों में शामिल हैं। इस पूरे मामले में आने वाले समय में यह भी जांच का विषय जरूर होगा कि क्या युवती के पिता को अधिकारी ने अपने पद से लाभ दिलाने में किसी तरह की भूमिका अदा की थी?

युवती ने गीदम थाने में जो तहरीर दी है उसके अनुसार मार्च 2018 से अप्रेल 2025 तक उनके बीच सब कुछ सामान्य था। माने सब कुछ बीते कुछ ही दिनों में बिगड़ा है। यह तारिख इसी बात की चुगली करता दिखाई दे रहा है। दोनों पक्षों द्वारा एक दूसरे के खिलाफ विडियो बनाकर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया गया है। यह सबसे ज्यादा गौरतलब तथ्य है। यदि दोनों पक्षों के बीच में एक खुशनुमा प्यार का माहौल था तो यह मामला विडियो बनाकर ब्लैकमेल करने तक कैसे पहुंच गया? यह बड़ा सवाल है।

युवती द्वारा दी गई तहरीर में अधिकारी पर इसी बात का आरोप लगाया गया है कि अधिकारी विडियो बनाकर ब्लैकमेल करना चाह रहा था। वह शादी का झांसा देते हुए सात बरसों से संबंध स्थापित करता रहा और इस दौरान तीन बार गर्भपात भी करवाने के लिए बाध्य किया? 

जब युवती को पहले से ही जानकारी थी कि जिस अधिकारी के साथ उसके निजी व्यक्तिगत प्रेम संबंध हैं उसका अपना एक परिवार है। तो वह किस उम्मीद के साथ यह चाह रही थी कि अधिकारी उसके साथ एक विधि सम्मत वैवाहिक जीवन को सार्वजनिक तौर पर जिए। यह तो वैसे भी संभव था ही नहीं। 

जब सात बरस तक दोनों के बीच बिना किसी रूकावट के निजी संबंध बने रहे और वे यदा—कदा बाहरी दुनिया में विचरण करने के लिए भी निकल जाया करते थे तो यह सामान्य तौर पर आपसी सहमति का ही मामला दिखाई देता है।

यानी एक तरह से यह विशुद्ध प्यार का मामला था जिसमें दोनों की आपसी सहमति ही मायने रखती थी। अब रही बात अधिकारी ने भी अपनी तहरीर थाने में दी थी जिसमें उसने युवती पर यह आरोप लगाया है कि वह निजी संबंध का विडियो बनाकर ब्लैकमेल कर रही थी। युवती पर पैसे एंठने का भी आरोप अधिकारी ने लगाया है। 

सबसे बड़ा तथ्य तो यह है कि यदि अधिकारी यह कबूल कर रहे हैं कि उन्होंने युवती के दबाव में आकर पैसे दिए हैं तो कुछ तो ऐसा है जिसे देखने के बाद उसे लगा होगा कि किसी तरह मामला ना उछले... इसके पीछे संभव है यह भी कोशिश हो कि अधिकारी अपने परिवार, समाज और सार्वजनिक जीवन में बदनामी से भय खाकर युवती को राशि देने के लिए तैयार हो गए हों।

अब मामला यह है कि अप्रेल 2025 के बाद 16 मई को युवती ने सबसे पहले पुलिस में कंप्लेन दर्ज करवाया। जिसकी एफआईआर दस दिन बाद 26 मई को गीदम थाने में दर्ज की गई। युवती द्वारा थाने में तहरीर देने के पांच दिन बाद अधिकारी ने 21 मई को अपनी तहरीर गीदम थाने में दर्ज करवाई। 

इस पर 28 मई को मीडिया में मामला उजागर होने के बाद मामला दर्ज किया गया है। अधिकारी के आवेदन पर कमोबेश वही आरोप युवती पर लगाए गए हैं जिसके आधार पर अधिकारी के खिलाफ मामला पंजीबद्ध किया गया है।

बड़ी बात तो यह है अप्रेल 2025 में दोनों के संबंध खराब होने के बाद एक मोबाइल बातचीत का रिकार्ड दोनों के पास है जिसमें राशि के लेन—देन की बात को दर्ज किया गया है। यह बातचीत अधिकारी की ओर से आई काल पर दर्ज की गई है। जिसमें एक राशि का जिक्र बताया जा रहा है। इस राशि को लेकर दोनों के अपने—अपने दावे हो सकते हैं पर यह साफ हो गया है कि मामला पैसे के लेन—देन से भी जुड़ा है।

अब सबसे बड़ी बात तो यह है कि पूरे मामले में गीदम के कुछ प्रभावशाली लोगों के नाम भी सामने आ रहे हैं चूंकि जिनके बारे में जब तक मामला न्यायलयीन दस्तावेजों में दर्ज नहीं हो जाता तब तक कहना उचित नहीं होगा पर युवती से पीड़ित अधिकारी साफ कह रहे हैं कि कुछ लोग इस मामले में पर्दे के पीछे इन्वाल्व हैं। यही सबसे बड़ी कान्सपरेसी है। आखिर वे प्रभावशाली लोग अधिकारी की कथित महिला मित्र के मामले में जो नितांत व्यक्तिगत स्तर पर था उसे लेकर सामने क्यों खड़े हुए? 

बताया जा रहा है कि पूर्व में अधिकारी के बेहद करीबी रहे एक कर्मचारी के घर पर गीदम में एसीबी और ईओडब्ल्यू का छापा पड़ा था। इस छापे के बाद हासिल क्या हुआ यह अब तक स्पष्ट नहीं है पर इस व्यक्ति पर लंबे समय से आनंद जी सिंह का वरदहस्त बना रहा। विभाग के कामों में उस व्यक्ति की संलिप्तता रही। 

हाल ही में जब क्षेत्रीय विधायक ने उस व्यक्ति को मंडल संयोजक पद से हटाने के लिए चिठ्ठी लिखी तो तमाम प्रयासों के बाद उसे यह जिम्मेदारी नहीं मिली। बताया जा रहा है कि इस घटनाक्रम के बाद से अधिकारी के साथ उक्त व्यक्ति के संबंध थोड़े असामान्य हो चुके थे। युवती के साथ थाने में भाजपा गीदम के एक बड़े नेता के साथ यह व्यक्ति भी थाने में एफआईआर वाले दिन में मौजूद था।

यह तथ्य फिलहाल सामने नहीं आया है कि युवती के साथ अधिकारी के संबंध किस तरह से निजी संबंध में तब्दील हुए। किस तरह से यह संबंध नैतिकता और अनैतिकता के बीच महीन धागे को तोड़ते हुए सात बरस तक कायम रहे। आखिर ऐसी क्या बात हो गई कि मामला आपसी सुलह की स्थिति से बाहर होकर थाना, कोर्ट, कचहरी तक पहुंच गया? प्यार, धोखा और साजिश की इस कहानी में अभी और भी कई मोड़ देखने को मिलेंगे। पर यह साफ दिखाई दे रहा है कि मामला आपसी संबंध से हनी ट्रेप तक का सफर तय कर चुका है। 

आरोपी अधिकारी ने अपनी बेल के लिए जिला कोर्ट में आवेदन 28 मई को प्रस्तुत कर दी है। संभव है आज युवती और अधिकारी के द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर दर्ज आरोपियों के द्वारा भी अग्रिम जमानत के लिए आवेदन लगाया जा सकता है। दोनों पक्षों द्वारा एक—दूसरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दिए जाने के बाद कोर्ट के फैसलों पर इंतजार रहेगा।

इस बीच यह देखना होगा जिसमें उभय पक्ष के अपने—अपने दावे हैं पर उन दावों के बीच में सत्य क्या है? कौन ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहा था? विडियो किसने बनाए? विडियो को देखे बगैर क्या अधिकारी ने राशि दे दी? सबसे बड़ी बात तो यह है कि मामला प्यार में धोखे का नहीं बल्कि प्यार के लिए एक—दूसरे को धोखा देने का भी हो सकता है यह जांच का विषय है?