झोले में रखे कीटनाशक दवाई को पी गई बच्ची,मेकाज के डॉक्टरों ने दिया नया जीवनदान 8 दिनों तक लगातार चला उपचार, कोड़ेनार थाना क्षेत्र का मामला

झोले में रखे कीटनाशक दवाई को पी गई बच्ची,मेकाज के डॉक्टरों ने दिया नया जीवनदान 8 दिनों तक लगातार चला उपचार, कोड़ेनार थाना क्षेत्र का मामला
जगदलपुर - TIMES OF BASTAR

11 मार्च  2024 जगदलपुर बस्तर :- कोड़ेनार थाना क्षेत्र के राउतपारा में रहने वाली रामिका अपने दोस्तों के साथ घर में खेलने के दौरान घर के ही झोले में रखे हुए कीटनाशक दवा का सेवन कर लिया, जिसके बाद उसके मुंह से निकलते झाग को देखकर परिजनों ने उसे बिहोशी के हालात में मेकाज में भर्ती किया, जहाँ 8 दिनों तक चले उपचार के बाद बच्ची होश में आई, जहाँ रविवार को बच्ची को छुट्टी दे दिया गया, बच्ची के ठीक होने पर परिजनों ने डॉक्टर से लेकर स्टाफ नर्स आदि सभी को धन्यवाद दिया l

बच्ची रामिका  के पिता संपत कश्यप ने बताया कि 2 मार्च को रामिका अपने घर के ही अन्य बच्चों के साथ घर में खेल रही थी, जबकि परिवार के अन्य खेत गए हुए थे, इसी दौरान बच्ची खेलते, खेलते  खेत में छिड़काव के लिए लाए गए कीटनाशक दवा को झोले से निकाल कर उसे खा गई, बच्ची को थोड़ी देर के बाद चक्कर आने लगा और मुँह से झाग आने लगा, बच्ची किसी तरह घर के बाहर आई, जहाँ घर के बाहर बैठे उसके भाई ने देखा और उसके परिजनों को बताने के साथ ही अस्पताल ले गए,

जहाँ डॉक्टरों ने तत्काल उसका उपचार शुरू कर दिया गया, डॉक्टरों ने बच्चे की हालत को देखते हुए तत्काल उसे वेंटिलेटर में 2 दिन रखा गया, लगातार डॉक्टरों के साथ ही स्टाफ नर्स  बच्ची को निगरानी में रखने के साथ ही उसके स्वास्थ्य को लेकर जांच किया जा रहा था , बच्ची की स्थिति थोड़ी ठीक होने के बाद उसे वेंटिलेटर से बाहर भी निकाल दिया गया, जहाँ से रविवार को बच्ची को छुट्टी  देदी गई l

मेकाज अधीक्षक डॉक्टर अनुरूप साहू ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर बच्चों के द्वारा कीटनाशक दवाओं के साथ ही अन्य मामलों में बच्चों के साथ ही बड़े बुजुर्ग आदि को किसी भी प्रकार से होने वाली समस्या पर तत्काल उन्हें उपचार के लिए अस्पताल लाना चाहिए, जिससे कि मरीज भी सही समय में अस्पताल पहुँच सके और डॉक्टरों को भी उनके उपचार के लिए पूर्ण जानकारी मिल सके, 

बैगा गुनिया का चलता है क्रेज

बस्तर के अंदुरुनी इलाकों की बात करे तो यहां किसी भी तरह से कोई भी परेशानी जैसे कुत्ते के काटने, सर्पदंश, बीमारी, झाड़ फूंक, पेड़ से गिरने या अन्य कोई भी मामले होने पर ग्रामीण उन्हें अस्पताल ना लाकर पहले बैगा गुनिया के पास ले जाते है,जहाँ मरीजों को सही समय में उपचार नही मिल पाता है, और अस्पताल पहुँचने से पहले ही उनकी हालत और खराब हो जाती है, साथ ही कई बार उपचार शुरू होने से पहले ही उनकी मौत भी हो जाती है,

इन डॉक्टरों ने दी नई जिंदगी

Dr Anurup Sahu

Dr Dhannuram Mandavi

Dr Pushpraj Pradhan

Dr Ishita

Dr Palaram 

Dr Priyanka

Dr Rupali

Dr Harsh

Dr Babita

Dr Tushar