छात्रावास अधीक्षक और मंडल संयोजक ने 36 लाख रुपए डकारे,पंखा टूटा, गद्दे फटे, भवन जर्जर, अफसर बोले- यहां नहीं रहते बच्चे, फर्जी तरीके से निकाले पैसे वसूली करने का आदेश

छात्रावास अधीक्षक और मंडल संयोजक ने 36 लाख रुपए डकारे,पंखा टूटा, गद्दे फटे, भवन जर्जर, अफसर बोले- यहां नहीं रहते बच्चे, फर्जी तरीके से निकाले पैसे वसूली करने का आदेश
जगदलपुर - TIMES OF BASTAR

28 जनवरी 2024 जगदलपुर :- छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले के एक आदिवासी बालक छात्रावास की हालत खस्ता है। 50 सीटर इस छात्रावास में बच्चे नहीं रह रहे हैं। घर से स्कूल आना-जाना करते हैं। लेकिन, अधीक्षक और मंडल संयोजक लगातारा फर्जी तरीके से डायरी मेंटेन कर रहे थे। मामले की जानकारी प्रशासन को मिली। जिसकी जांच की गई। जिसमें फर्जी पाया गया। अब प्रशासन इनसे 36 लाख रुपए वसूलने की कार्रवाई कर रहा है। 

बस्तर जिले के सहायक आयुक्त ने बताया कि, बास्तानार ब्लॉक के बिरचेपाल गांव में बालक छात्रावास स्थित है। कुछ दिन पहले टीम यहां जांच करने के लिए गई हुई थी। छात्रावास में बच्चे नहीं थे। कमरे में पंखा टूटकर नीचे गिरा हुआ था। गद्दे फटे हुए थे। छात्रावास की हालत काफी खस्ता थी। देखकर ऐसा लगा कि यहां बच्चे नहीं रह रहे हैं।

आज-पास के ग्रामीणों से भी बातचीत की गई। जिसमें पता चला कि यहां बच्चे रहते नहीं हैं। हां, लेकिन स्कूल टाइम में आना-जाना जरूर करते हैं। सहायक आयुक्त ने कहा कि, इस छात्रावास की दर्ज संख्या 50 है। बच्चे घर से आते हैं, स्कूल में मध्यान भोजन खाते हैं और शाम को घर जाते हैं। जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि, बच्चे छात्रावास में नहीं रहते हैं।

फर्जी तरीके से मेंटेन कर रहे थे रजिस्टर

निरीक्षण के बाद इस मामले की विभागीय जांच की गई। जिसमें पता चला कि, छात्रावास अधीक्षक फर्जी तरीके से रजिस्टर मेंटन कर रहा था। कैश बुक, वाउचर में भी गड़बड़ी पाई गई। पिछले कुछ सालों में करीब 36 लाख रुपए गबन कर लिए। जांच के बाद इस मामले को कलेक्टर विजय दयाराम के. के संज्ञान में लाया गया। जिसके बाद कलेक्टर ने अधीक्षक और मंडल संयोजक से 36 लाख रुपए रिकवर करवाए जाने के निर्देश दिए हैं। 

1 बच्चे के पीछे मिलते हैं 1500 रुपए

दरअसल, बस्तर में आदिवासी बालक छात्रावास में रहने वाले एक बच्चे के पीछे सरकार पहले 1 हजार रुपए महीना देती थी। लेकिन, यह राशि बढ़कर अब 1500 रुपए महीना हो गई है। बच्चों के लिए राशन, तेल, साबुन समेत अन्य जरूरी सामान के लिए ये पैसे खर्च किए जाते हैं।